निर्माण श्रमिकों के कौशल विकास को लेकर बीओसीडब्ल्यू और डीटीएनबीडब्ल्यूईडी बोर्ड के बीच हुआ एमओयू

प्रथम चरण में यूपी के साथ जिलों कि पायलट प्रोजेक्ट के रुप में किया गया है शामिल

लखनऊ। निर्माण श्रमिकों के कौशल विकास और कल्याण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के श्रम एवं सेवायोजन विभाग, भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड (बीओसीडब्ल्यू बोर्ड) तथा दत्तोपंत ठेंगड़ी राष्ट्रीय श्रमिक शिक्षा एवं विकास बोर्ड (डिटीएनबीडब्ल्यूईडी बोर्ड) के बीच सोमवार को नई दिल्ली में आरपीएल ट्रेनिंग हेतु एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।

श्रम शक्ति भवन, नई दिल्ली में सोमवार को संपन्न समझौते के दौरान वंदना गुरुनानी, सचिव, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार, तथा डा. एम. शन्मुग सुन्दरम, प्रमुख सचिव, श्रम एवं सेवायोजन विभाग, उत्तर प्रदेश शासन की उपस्थिति में एमओयू का आदान-प्रदान किया गया। इस अवसर पर कर्नल नीरेज शर्मा, महानिदेशक (डिटीएनबीडब्ल्यूईडी बोर्ड ), पूजा यादव, सचिव, एवं महेश पांडेय, अपर सचिव (बीओसीडब्ल्यू बोर्ड) भी मौजूद रहे।

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कार्यक्रम में कर्नल नीरेज शर्मा ने कहा कि भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के समन्वय से श्रमिकों के हित में यह सराहनीय पहल है। इस एमओयू के तहत उत्तर प्रदेश के लगभग 7 जनपदों में निर्माण श्रमिकों को आरपीएल ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे उनके कौशल में वृद्धि होगी और बेहतर रोजगार अवसर उपलब्ध होंगे।

डा. एम. शन्मुग सुन्दरम ने इसे उत्तर प्रदेश के लाखों निर्माण श्रमिकों के लिए लाभदायक बताते हुए कहा कि इस एमओयू से कौशल विकास के माध्यम से श्रमिकों को सशक्त किया जाएगा। वहीं डिटीएनबीडब्ल्यूईडी बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि बीओसीडब्ल्यू बोर्ड उत्तर प्रदेश में श्रमिकों के कल्याण हेतु उत्कृष्ट कार्य कर रहा है और यह एमओयू देशभर के श्रमिकों के लिए एक सकारात्मक संदेश देगा।

सुंदरम ने बताया कि यूपी में प्रथम चरण में गौतमबुधनगर (नोएडा), गाजियाबाद, लखनऊ, अयोध्या, वाराणसी, गोरखपुर और झाँसी को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शामिल किया गया है। आरपीएल कार्यक्रम एक औपचारिक प्रक्रिया के तहत श्रमिकों के कौशल को पहचान कर उन्हें ट्रेनिंग देता है व अंत में उन्हें उनके कौशल के लिए सरकारी प्रमाणपत्र भी प्रदान करता है।

श्रम सचिव वंदना गुरुनानी ने भी इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के समन्वय से श्रमिक कल्याण के क्षेत्र में एक नई दिशा मिल रही है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से निर्माण श्रमिकों को दीर्घकालिक लाभ मिलेगा और इसे और अधिक सुदृढ़ किए जाने की आवश्यकता है।

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